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Showing posts from January, 2019

लघुकथा

कॉलेज के बगल वाली सड़क के उस पार फास्टफूड के ठेलो को लंबी कतार थी। चल सचिन चाउमीन खाते है रहने दे विनय रोज वो ही चाउमीन,पास्ता,बर्गर,पिज़्ज़ा बोर हो गए यार। कुछ नया देखते है वो दे...

गजल

कैसा रहा आपका इस बार का सफर खत्म तो होता ही है हर बार का सफर। कुछ लोग चल रहे है रफ्तार से बहुत मानो कर रहे हो आर पार का सफर। नाव का सफर अलग है यहाँ और अलग है  यहाँ पतवार का सफर। कु...

दोहा

आज रवि अवकाश पर ठंड बड़ी विकराल करो घर आराम आज ओढ़ो स्वेटर शॉल। ©डॉ दिलीप बच्चानी