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Showing posts from April, 2020

गजल

न सदा दिन रहा है,न सदा रात रहेगी मेघो को बरसने दो ये नदी फिर बहेगी।  गिर जाते वट वृक्ष समय विपरीत हो तो हरी रहेगी वो डाली जो तूफान सहेगी। मिटेगी कालिमा धवल आकाश होगा निशानी स्मृति पटल पर फिर भी रहेगी।  सहअस्तित्व,समन्वय और सजगता इस मूल मंत्र की कहानी पीढ़ियाँ कहेगी।  कई प्रलय काल भी देखे है इस धरा ने उस परम् की सत्ता न ढही है न ढहेगी।  मुश्किले आती रही है आती जाती रहेगी जिंदगी रुकती नही है न अब रुकेगी। 

लघुकथा

मोबाईल पर मेसेंजर का नोटिफिकेशन आया।  विनीत का मैसेज था  हाय ! क्या कर रही हो।  बस सेशनल एग्जाम की तैयारी।  आप सोये नही अभी तक, रक्षिता ने लिखा।  नही ! नींद ही नही आ रही।   ओके। गुड़ नाइट।  बाय। मै तो चली सोने।  रक्षिता और विनीत के बीच मेसेंजर पर ऐसी चैटिंग अमुमन होती ही रहती।  रक्षिता मॉर्डन जमाने की खुले विचारों वाली लड़की थी,विनीत उसकी सहेली का पति था जो कुछ ही दिन पहले फेसबुक मित्र बना था।  छोटी मोटी हँसी मजाक चुहलबाजी का रक्षिता ने कभी बुरा नही माना।  पर आज तो विनीत ने मेसेंजर पर जो वीडियो सेंड किया उसने रक्षिता को रात भर सोने नही दिया।  क्या थोड़ी सी हँसी मजाक और सोशल मीडिया पर दोस्ती का लोग इतना गलत मतलब निकाल लेते है।  आज तक हुई पूरी चैटिंग का पूरा रिकॉर्ड अपने पेन ड्राइव में सेव करके सुबह सवेरे ही रक्षिता  लोकल महिला पुलिस स्टेशन पहुच चुकी थी। 

भीड़ का मनोविज्ञान

भीड़ का मनोविज्ञान।  हमारे यहाँ धार्मिक, सामाजिक,राजनैतिक आयोजनों में एकत्रित भीड़ की संख्या को देखकर उसकी सफलता या असफलता का अनुमान लगाया जाता है।  फलां तिथि को इस मंदिर में लख्खी मेला भरता है पैर रखने तक कि जगह नही होती,दर्शनों के लिये कई कई घण्टो की कतारें लगती है।  जुम्मे की नमाज के दिन इस मस्जिद के सामने की सारी सड़क नमाजियों से भरी रहती है।  ट्रैफिक तक रोकना पड़ता है।  इस दरगाह पर मनाये जाने वाले उर्स की तो शान ही निराली है दूर दूर से लोग जियारत करने आते है।  अभी तो गुरु पर्व का सीजन चल रहा है हर कोई गुरु के दर पर मत्था टेकना चाहता है इसलिए सभी ट्रेन बुक चल रही है।  क्रिसमस के टाइम में कार्निवाल का आयोजन होता है बड़ी तो क्या किसी छोटी सी लॉज में भी कमरा नही मिलेगा।  न्यू ईयर पर सड़को पर निकलने वाली भीड़ हो या क्रिकेट के दीवानों का हुजूम।  क्या सभी त्यौहार, उत्सव,उल्लास के पल केवल भीड़ में ही मनाये जा सकते है।  क्या किसी विशेष तिथि को ही भगवान के दर्शन करना आवश्यक है या सिर्फ जुम्मे को ही नमाज कुबूल होती है अन्य दिन नही।  चर्च तो रोज ख...