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Showing posts from October, 2020

दूसरा थप्पड़।लघुकथा।

हाथ मे दबी दवाई की एक पर्ची काउंटर पर रखते हुए महिला बोली। भाई साहब ये दवाई दे दीजिए।  दवा की शीशी औऱ बिल खाकी कागज के लिफाफे में डालकर रामरतन गुप्ता जी बोले बहन जी दो सौ पैतीस रुपये हुए।  साड़ी के पल्लू में बंधे खुले नोटो को गिनकर महिला ने बिल चुकाया औऱ जाने को मुड़ी तभी साथ आये करीब आठ नौ साल के बच्चे ने लिफाफा उठाने की कोशिश की, लिफाफा गिर गया दवा की शीशी चकनाचूर हो गई।  महिला का हाथ गुस्से से बच्चे के गाल की तरफ बड़ा।  अरे!अरे! बहन जी क्या कर रही है बच्चा है गलती से लिफाफा छूट गया मै आपको दूसरी शीशी दे देता हूँ।  पर पैसे? कोई बात नही ये शीशी मेरी तरफ से फ्री।  महिला और बच्चे के जाने के बाद दुकान पर काम करने वाला कर्मचारी राजू बोल पड़ा।  ये क्या किया सेठ जी सुबह सुबह दो सौ पैतीस रुपये का घाटा।  रामरतन गुप्ता गहरी सांस लेते हुए बोले,बचपन में एक दवा की शीशी मुझसे भी टूटी थी।  उस औरत ने जैसे ही थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया मुझे लगा वो थप्पड़ मुझे ही लगने वाला है।  औऱ मै दूसरा थप्पड़ नही खाना चाहता था। 

हिंदी गजल।

चाहे दबा हुआ है लाख परतों तले पर होता हर मन मे वैराग का मोह।  घर की दीवारें कारावास की तरह छोड़ता कहा है अनुराग का मोह।  ऐसे कैसे सौप दू किसी अंजान को किसे दू मै अपने अनुभाग का मोह।  कइयो बार छला गया ठुकराया गया पर पा न सका मै मेरे भाग का मोह।  मेरे चेहरे पर खुशी उसे मंजूर ही नही छिनता लेता हैं हर विभाग का मोह।  धमनियों का रक्त जब तक न रुके चलता रहेगा द्वेष औऱ राग का मोह। 

पर्यावरण संरक्षण।

आकाश के फेफड़ो में धुंआ भरती चिमनिया धरती के आँचल को अनवरत सोखते ट्यूबवेल।  नदियों को जार जार करता बजरी खनन समंदर को मारता केमिकल और प्लास्टिक।  खाद्यान्न में अत्यधिक घुलता हुआ कीटनाशक  फलो में विटामिन से ज्यादा भर गया जहर।  कुँए, तालाब,बावड़ीया,पोखर गुम हो गए अनगिनत पेड़ो,पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त।  और बड़ी शान से साल में लगाते है एक पौधा बन जाते है संवेदनशील पर्यावरण सरंक्षक।