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Showing posts from April, 2023
दिल की बात कहने को जुबा की जरूरत क्या मोहब्बत जिनमे हो वो आँखे बात करती है। 

बेलबाग

सुपारी सिकी हुई डालू,कच्ची या चिप्स।  कच्ची डाल दो चाचा।  एक बात पूछे चाचा,ये कोठे जो कभी रक्स और मौसिकी से गुलजार हुआ करके थे,वीरान क्यो है।  अब क्या बताए मियां,सब की सब वेश्याएँ कोठे बेच बेच कर पॉश कालोनियों में चली गई।  अब वो शरीफो की तरह दिखती है ऒर सफेदपोशो के साथ धंधा करती है।  और बिना वजह अपना ये बेलबाग बदनाम का बदनाम। 

जिंदगी ओर तंबाकू

अबे सुन बे  ये जो जिंदगी है इसका और तंबाकू का गहरा रिश्ता है।  वो कैसे बे।  बढ़िया जिंदगी रजनीगन्धा तुलसी पान पराग बाबा उससे कम विमल कमलप्सनक्स राजनिवास।  बिल्कुल घटिया तानसेन कुबरा नटखट।  बज कहानी खत्म।  अरे नही बे।  अगर ये सब नही है तो कई लोग मर रहे है मिराज चूस के ओर बीड़ी फूक के। 

आखिरी फर्नीचर

आखिरी फर्नीचर(कविता) जिंदगी भर भटकता है आराम की तलाश में! काम करने के लिए कुर्सी पर आरामदायक कुशन बैठने के लिए गद्देदार सोफा, सोने के लिए आलीशान पलंग, नर्म मुलायम बिस्तर।  ऑफिस,घर,कार हर जगह बस आराम की तलाश।  पर भागते दौड़ते रूह कहा पा लेती है आराम।  मन मचलता सिसकता रहता है, पाने को सुकून,विश्राम।  मिलता है आराम, सुकून,विश्राम आखिरी फर्नीचर पर।  न कुछ चुभने का डर न जलने का दर्द।  केवल शांति,चिरनिंद्रा।  डॉ दिलीप बच्चानी  पाली मारवाड़,राजस्थान।

सीख

ये लो बेटा पैसे चीज ले आना, गाड़िया आती जाती रहती हैं संभल कर जाना।  पर किसी एक मख़सूस दुकान से चीज मत लाना मोहल्ले की सभी दुकाने अपनी सी है, कभी इससे कभी इससे जभी उस दुकान से लाना। 

डायरी

जब कभी बंद हो जाए मेरी आँखें तुम जरूर खोलना मेरी डायरी, डायरी जिसे तुम्हारी माँ अपनी सौतन बुलाती थी। और तुम लोगो ने भी कभी खास पसंद नहीं किया।  पर जब तुम खोलोगे उसे तो तुम्हे मिलेगा मेरी जिंदगी का हर हिसाब किताब।  में दावें से कह सकता हूँ तुम जान जाओगे की जिंदगी मैने घाटे में नहीं जी है।