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Showing posts from May, 2023
क्या फायदा अच्छी यादाश्त का जो गमो को भूलने ही नही देती। 
रात का इंसान अलग,दिन का कुछ अलग रंग रोगन पुताई भी कोई चीज होती है। 

गजल

इसकी कट रही,उसकी गुजर रही है जिंदगी जीने वालों की कमी बहोत है।  दौड़ दौड़ कर कितना दौड़ोगे आखिर पाँव तुम्हारे दो और यहाँ जमी बहोत है।  कुछ उदास है तो कुछ है खोई खोई सी कुछ पथराई सी तो कुछ में नमी बहोत है।  ऐ मुश्किलों गुरुर न करो इतना खुदपर टकराने के लिए अकेले  हमी बहोत है।  ढूंढ रहा हूँ जाने कब से बस्ती में इंसान यू तो यहाँ देखने को आदमी बहोत है। 
जरा सा कद क्या बड़ा इतराने लगे अब उन्हें हम बौने नजर आने लगे।  जो कतराते थे नजर मिलाने से भी वह लोग भी अब इधर आने लगे।