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Showing posts from July, 2023

प्रदूषित शहर।

इन बड़े शहरों का प्रदूषित वातावरण,सुबह की सैर भी फायदा देने की बजाय नुकसानदायक लगने लगती है।  सरिता देवी चाय का कप पकड़ाते हुए बोली अब आपको यहां कौसानी जैसी शुद्ध हवा तो मिलने से रही।  नाश्ते की टेबल पर चर्चा के दौरान कौसानी जाने का प्रोग्राम तय हो गया।  बड़े बेटे ने अपने पिता कल्याण सिंह रावत से पूछा। पिताजी नैनीताल में होटल बुक करवा दू क्या।  अरे! नही बेटे अपने पुरखों की पुशतैनी हवेली है वही चल कर रुकेंगे और परिवार के लोगो से मिलना भी हो जाएगा।  पूरा सफर बचपन और किशोरावस्था के सुंदर सपनो में और कौसानी की खूबसूरत वादियों की यादों में निकल गया।  काठगोदाम से कार बुक करके कौसानी पहुँचे, कस्बे में घुसते ही कल्याण सिंह रावत अचंभित रह गए।  जगह जगह होटल, लॉज, रेस्टोरेंट, कैफे खुल गए थे, वो पुरानी नैसर्गिक खूबसूरती खो सी गई थी।  हवेली के सामने गाड़ी रुकी वहा भी हवेली के ज्यादातर हिस्से को लॉज, रेस्टोरेंट आदि में बदला जा चुका था।  बैठक में चाचा,ताऊ संग बैठे चाय पी ही रहे थे कि छोटे चाचा बोले परिवार के साथ घूमने निकले हो? इतने सालों बाद याद आयी अपने गांव ...

रसमुग्धा(लघुकथा)

पारिवारिक आयोजन में सम्मिलित होने के लिए तीनो बेटे चिड़ावा आये हुए थे।दोपहर के भोजन उपरांत सभी लोग इकट्ठा बैठे हुए गपशप में मशगूल थे,तभी सबसे छोटे बेटे ने अपने पिता रिटायर्ड प्रिंसिपल ओमप्रकाश शर्मा जी से पूछा बाबूजी आपकी पत्रिका रसमुग्धा का क्या हाल है कितनी प्रतियां छप रही है आजकल।  अब क्या बताये? आजकल की पीढ़ी को मोबाइल और कम्प्यूटर से फुर्सत मिले तो कोई पुस्तक,पत्रिका पढ़े।  पिछले तीन महीने से प्रकाशन लगभग बंद ही पड़ा हुआ है, अब न तो विज्ञापन मिलते है और न ही पाठक।  बाबूजी आप एक काम क्यो नही करते एक वेब पोर्टल बनाकर रसमुग्धा को ई-पत्रिका के रूप में प्रकाशित करिए,पाठकों तक पहुंच भी बढ़ेगी खर्चा भी कम होगा और हमारी रसमुग्धा पुनर्जीवित भी हो जाएगी।  मैं आपको मेरा लैपटॉप दे जाऊंगा,आप लेखकों की रचनाएं, लेख,कविता,कहानियां ओर अपना संपादकीय लिखकर मुझे भेज दीजिएगा और हर महीने मासिक ई-पत्रिका रसमुग्धा प्रकाशित हो जाएगी।  ओमप्रकाश शर्मा जी ने आज के दौर की परिस्थितियों को स्वीकारते हुए हामी भर दी।  बेटे खुश थे कि इसी बहाने पिता की पेंशन के रुपये पत्रिका में फालतू खर्च न...
इस्तेमाल किया जाता हूँ सीढ़ियों की तरह ऊपर पहुंच कर कोई नीचे देखता ही नही।
बस ईटा दे देना जिंदगी मुझे चला जाऊं तो कुछ लोग याद करे।