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Showing posts from October, 2023

गजल

कल क्या हो किसी को कोई खबर नहीं कल की फ़िक्र से अलहदा कोई बशर नही।  भटकता फिरता हूँ सुकून की तलाश में लगता है मुझको जैसे मेरा कोई घर नही। चेहरे को ढक को रखता है मुस्कराहटों से ऐसा नहीं है कि उसे कोई फ़िकर नही।  रात की स्याह परछाईया बढ़तीं ही जा रही लगता है इस रात की कोई सहर नही।  पूरे गुलशन में मुझे तितलियां नही दिखी लगता है इस गुलशन में गुलों का शजर नही।  मेरी तमाम खुशियां रहतीं है उस ओर उस ओर जाने को पर कोई डगर नही।  पा लिया इतना जिसका हकदार भी न था अब मौत भी आ जाये तो कोई डर नही।

रावण(कविता)

असफलता का भय तो रावण है ही सफलता का मद भी रावण है।  कुरूपता की ग्लानि तो रावण है ही सुंदरता का अहम भी रावण है।  परस्त्री का मोह तो रावण है ही स्वस्त्री की उपेक्षा भी रावण है।  स्वंय पर क्रोध तो रावण है ही दुष्टों पर दया भी रावण है।  अंधकार की कालिमा तो रावण है ही प्रकाश की चकाचौंध भी रावण है।  सत्य का अस्वीकार तो रावण है ही असत्य का अंगीकार भी रावण है।