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Showing posts from April, 2024
अजब आलम है साहेब किताबे कौन पढ़ता है मोबाईल के शगल के दौर में खलल का नाम किताब है।

कवि सम्मेलन।

जोरो शोरो से प्रचार किया गया,अखबार, होर्डिंग, सोशल मीडिया पोस्ट के द्वारा विशाल कवि सम्मेलन का।  तय समय से करीब दो घंटे बाद कार्यक्रम शुरू हुआ, संचालक ने ओजपूर्ण वाणी में देशभक्ति से लेकर सहित्यप्रेम तक की बाते की।  फिर आमंत्रित अतिथियों के वृहद परिचय दिए गए, और इस प्रकार दिए गए मानो सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्न यदि पर उपस्थित है।  सरस्वती वंदना की औपचारिकता के बाद कवि सम्मेलन शुरू हुआ।  संचालक महोदय ओजपूर्ण वाणी में बोले हम अति विनम्रतापूर्वक रूप से मंच पर बुलाना चाहते हैं श्रीमान ए को जिनका साफा पहनाकर स्वागत करेंगे श्रीमान क, मोमेंटो देंगे श्रीमान ख  और दुप्पटा पहनाएंगे श्रीमान ग।  अब इसी क्रम में आप सब आते रहिए और सम्मानित होते रहिए।  अब अंत मे हमारे लाडले कवि ज्ञ का स्वागत है।  ज्ञ मंच की तरफ जा रहा था तभी अनुभवी आयोजनकर्ता ने कलाई थाम ली। संछेप में पढ़ना कार्यक्रम वैसे ही लेट हो गया है।  कविता क्या है कविता का बैठा हुआ है भट्टा, मुख्य बात है साफा, मोमेंटो और दुपट्टा।