मंदिरो, मजारो पर बंधे है लाखो धागे, बेटियो की खुशहाली के, उनके सुखद पारिवारिक जीवन के, पर क्यो नही बांधे जाते उनके अच्छे कैरियर, कामयाबी और प्रमोशन के लिए। कितने गुरुद्वारों में पढ़ी जाती है बेटियो की सफलता की अरदास। हमने हजारो बार दिए है, बेटियो को सौभाग्यशाली होने के आशीर्वाद। आखिर हम कब देंगे उन्हें सफल औऱ समर्थ होने कि आशीष।