सौरभ बैंक की स्लिप भर ही रहा था की पीछे से किसी ने कहा बाबूजी एक पर्ची हमारी भी भर दो बिना पीछे मुड़े सौरभ ने कह दिया वहा टेबल पर जाकर बाबूजी से भरवा लो तभी पास में खड़े एक बुजुर्...
तेरे सारे सवालों का तेरे भीतर जवाब है फकत नीचे अंधेरा है ऊपर जलता चराग है क्यों बेज़ार होता है इस दुनिया की बातों से तेरे भीतर शिवाला है गर तेरा दामन बेदाग है यहाँ से कई लोग गु...