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गजल

तेरे सारे सवालों का तेरे भीतर जवाब है
फकत नीचे अंधेरा है ऊपर जलता चराग है

क्यों बेज़ार होता है इस दुनिया की बातों से
तेरे भीतर शिवाला है गर तेरा दामन बेदाग है

यहाँ से कई लोग गुजरे है हमे भी पार जाना है
पर रस्ता है ये मुश्किल यहाँ हर सम्त आग है

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