निर्णय (लघुकथा ) इंसानी जरूरत की हर चीज से सजे शानदार कमरे में तनुजा कम्प्यूटर के कीबोर्ड के साथ व्यस्त थी | शहर के मशहूर वकील द्वारकेश्वर सिन्हा कमरे में आये | आइए पापा बैठिए ...
कड़वा फल ( लघुकथा ) ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी रजनी अपने मेकअप को फिनिशिंग टच दे रही थी | शोभा ने बेटी को बड़े दुलार से समझाते हुए कहा देख लड़के से अच्छे से मिलना | ओके माँ आई विल मैन...
लघुकथा ( कुप्रथा ) राबिया ने वो जिल्लत औऱ हिकारत भरा वक्त कैसे गुजारा था या तो वो जानती थी या उसका अल्लाह जनता था | जब से घर लौटी थी गुमसुम सी बुझी बुझी सी छोटे से वसीम को अपने सी...
देहली की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली स्वाति अपने चार मेल कलीग्स के साथ फील्ड वर्क निपटाकर हरियाणा के जलौला कस्बे के छोटे से बस स्टेण्ड की बेंच पर बैठी अपने कलीग्स क...
सावित्री स्टोव के पम्प मार मार के पीतल की डेकची में दाल को एक चम्मच से घुमा रही थी आंनद दौड़ता हुआ आया क्या बनाया है माँ तेरी पसंदीदा तुअर की औऱ चावल स्टोव धीमा हुआ तो फिर पम्प...
काले मुस्टंडे सेठ की हंटर सी कड़कती आवाज छोटू ऊपर 20 नम्बर में दो चाय दे के आ औऱ जल्दी आना वरना ये कप प्लेट क्या तेरा बाप धोएगा नन्हे हाथो में चाय की केतली औऱ गिलास थामे नीम अंधेर...
होली पर एक लघुकथा देखिये बदरंग होली आसमान में बादल और मौसम में ठंडक देखकर होली से दो दिन पहले आज उसके माथे पर चिंता की लकीरे थी तभी नौ साल का बेटा ठेले से पिचकारी उठात...