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गजल

इंसान इंसान से डर रहा है
चहुओर सन्नाटा पसर रहा है। 

मौत तो जाने कब आएगी
हर पल डर डर के मर रहा है। 

अंजान साये ने घेर लिया है
उजाला अंधकार से डर रहा है। 

विश्व शक्तियां परास्त हो चुकी
भारतवर्ष भी समर कर रहा है। 

हे जगतजननी तू ही रक्षा कर
तेरा दास ये  अरज कर रहा है। 






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