चाहे हंस कर गुजारिये चाहे रोकर गुजारिये प्रश्न कठिन है हल आप खुद ही निकालिये। माना की अभी वक्त है थोड़ा दुश्वारियों भरा खुद भी संभलिए अपनो को भी संभालिये। कुछ नज्मे या कुछ गजले या कुछ पुराने गीत फिर ब्रश उठाइये फिर कोई तस्वीर बनाइये। कॉलेज के बिछड़े दोस्तो से बरसो हुए मिले मिल नही सकते तो उन्हें फोन ही लगाइये। बचपन को गुजरे हुए एक अरसा गुजर गया बच्चों के सानिध्य बैठकर बचपन मनाइये। टीवी की डिबेट ज़हनों में नफरत ही घोलेगी डिब्बे को बंद कीजिए थोड़ा सा मुस्कराइए।