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Showing posts from July, 2020
घी शक्कर नमक सबसे किनारा हो गया दिलकशी तो कबकी गयी खंडहर ही प्यार हो गया

दोहा

अजब प्रेम की बात है अजब प्रेम की रीत जो मन हारे आपना पावे सो ही जीत। 
भिंची मुठ्ठियों से उम्र फिसलती रही कांटे दौड़ते रहे घड़ी चलती रही।

गजल

चाहे हंस कर गुजारिये चाहे रोकर गुजारिये प्रश्न कठिन है हल आप खुद ही निकालिये।  माना की अभी वक्त है थोड़ा दुश्वारियों भरा खुद भी संभलिए अपनो को भी संभालिये।  कुछ नज्मे या कुछ गजले या कुछ पुराने गीत फिर ब्रश उठाइये फिर कोई तस्वीर बनाइये।  कॉलेज के बिछड़े दोस्तो से बरसो हुए मिले मिल नही सकते तो उन्हें फोन ही लगाइये।  बचपन को गुजरे हुए एक अरसा गुजर गया बच्चों के सानिध्य बैठकर बचपन मनाइये।  टीवी की डिबेट ज़हनों में नफरत ही घोलेगी डिब्बे को बंद कीजिए थोड़ा सा मुस्कराइए। 

गजल

मालिक नही हो किराएदार हो प्यारे पर समझने को कहा तैयार हो प्यारे।  बेवजह बेसबब भटकते फिरते क्यो हो किस अजब धुन पर सवार हो प्यारे।  तारीफ करना सवाल मत करना यहाँ वरना तुम्हे कह देंगे गद्दार हो प्यारे।  वोट देने के लिए तुम धरती पर आये फिर पांच साल के लिए बेकार हो प्यारे।  तुम अदना से पुर्जे भर हो इस सिस्टम के समझते हो जैसे तुम सरकार हो प्यारे। 

किताबे

स्कूल कॉलेज की जाने कितनी यादे बाकी है खुशनसीब हूँ मैं मेरे घर मे किताबे बाकी है।  कार्टून किताब पढ़ता मै साबू बन जाता था गीता पढ़ता कांधे पर गांडीव आ जाता था।  कम्प्यूटर मोबाइल में किताबों वाली बात नही वो खुशबू वो अपनापन वो अहसास नही।  सहेजना सँवारने एक का सलीका होता था हर शख्स का पढ़ने का अलग तरीका  होता था।  अब तो खरीदकर अलमारी में रखी जाती हैं पढ़ने के नही केवल प्रदर्शन के काम आती है।  आधुनिकता की दीमक किताबो को खा रही है आज की पीढ़ी मोबाइल में दिमाग खपा रही है।