स्कूल कॉलेज की जाने कितनी यादे बाकी है
खुशनसीब हूँ मैं मेरे घर मे किताबे बाकी है।
कार्टून किताब पढ़ता मै साबू बन जाता था
गीता पढ़ता कांधे पर गांडीव आ जाता था।
कम्प्यूटर मोबाइल में किताबों वाली बात नही
वो खुशबू वो अपनापन वो अहसास नही।
सहेजना सँवारने एक का सलीका होता था
हर शख्स का पढ़ने का अलग तरीका होता था।
अब तो खरीदकर अलमारी में रखी जाती हैं
पढ़ने के नही केवल प्रदर्शन के काम आती है।
आधुनिकता की दीमक किताबो को खा रही है
आज की पीढ़ी मोबाइल में दिमाग खपा रही है।
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