दृष्टि (लघुकथा )
पवित्र नदी के तट पर बने मोक्ष घाट पर माँ की अस्थियों के विसर्जन की पूजा करवा रहा था संतोष |
उसके कुल पुरोहित विधि सम्मत पूजा करवा रहे थे |
संतोष का ध्यान पूजा में कम पास के घाट पर नहाती महिलाओं और लड़कियों पर ज्यादा जाता |
पुरोहित जी बार बार टोकते
यहाँ पुष्प चढ़ाइए
यहाँ जल चढ़ाइए
अंततः पूजा पूर्ण हुई
संतोष पुरोहित जी से बोला अच्छे से पूजा करवाई न आपने माता जी को मोक्ष मिलना चाहिए |
पुरोहित जी मुस्कराते हुए बेटा
मोक्ष अच्छी पूजा विधि से नही अच्छी नियत से मिलता है |
संतोष की पलके झुक चुकी थी |
© डॉ दिलीप बच्चानी
पाली मारवाड़ राजस्थान
9829187615
सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
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