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दोहे

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जितना मालिक ने दिया
उतने में संतोष,
दूजा आगे बढ़ रहा
इसमें किसका दोष।
2
कभी नही थम सकता है
उसकी आंख का नीर
जिसने समझी
दूजे की पीर को अपनी पीर।
3
सूरज दिन भर का थका
चला सांझ के गांव
सारे पंछी लौटते
अपने अपने ठावँ।
4
गुरु मिले बड़े भाग से
करलो आज प्रणाम
करना ऐसा काम की
बड़े गुरु का नाम।
5
हँसते हँसते ढो लिया
जीवन भर का बोझ
अस्त शाम को होता हैं
सूरज भी तो रोज।
6
तेरी ज्योत की रोशनी
सदा दिखती राह,
भटक न जाऊ मैं कहि
थाम के रखना बाँह।
7
चंदा तेरी चांदनी
जैसे मलय पवन
नींद न आये जाने क्यू
लगता नहीं ये मन।
8.
आर्यावृत इस देश में ,
तम्बू में भगवान ।
जरा आप बतलाइए ,
कैसे हो कल्याण ।।
9.

गर्भ जेल से छूटकर फंसे मोह की जेल
वो ही जाने होगी कब इस जीव की बेल।

©डॉ दिलीप बच्चानी

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युद्ध का बदलता स्वरूप।

लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकियों पर हुए पेजर अटैक ने मध्यपूर्व एशिया में चल रहे युद्ध का परिदृश्य ही बदल कर रख दिया है। हिजबुल्लाह के चीफ ने अपने आतंकियों को मोबाईल न उपयोग करने की सलाह दी थी, क्योकि उसे लगता था कि मोबाईल को ट्रेस किया जा सकता है।  इसलिए वो लोग पेज़र का इस्तेमाल करते थे, अब वो ही पेज़र बम की तरफ फट कर उनका ही विनाशक बन गया।  दुनिया मे जितने भी युद्ध हुए है पलड़ा उसी का भारी पड़ता है जो परंपरागत युद्ध शैली से हटकर युद्ध करता है।  उदाहरण के रूप में महाभारत के युद्ध को ही देख ले,महाभारत युद्ध में 14वे दिन कौरव घटोत्कच की युद्ध शैली देखकर हतप्रद रह गए। अपनी सेना के पैर उखड़ते देख दुर्योधन ने कर्ण से देवेंद्र द्वारा दी हुई अचूक शक्ति घटोत्कच पर चलवा दी और कुरुक्षेत्र का युद्ध अपने अंत की ओर बढ़ चला। इसी प्रकार लंबे अरसे तक चले द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले ने दूसरे सभी देशों को घुटनों पर ला दिया और एक नई वैश्विक व्यवस्था का निर्माण हुआ।  अभी वर्तमान में चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध को ही देख लीजिए,रूस के शक्तिशाली टैंक ...

गजल

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दो शेर

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