झूठौ कैवै साचां नै,झूठ मनै हूवावै कोनी
आंधौ कैवै काणां नै,आखंया मनै चावै कोनी।
सगलां सू करै लडाई,वो नफरत रौ व्यापारी
वो कैवतो फीरै हैं की,कोई मनै चावै कोनी।
शिक्षा रौ करै अनादर, केवल जो उत्पात करै
लोगा नै कैवहे रीयो हैं, कोई मनै पढावै कोनी।
तूली लगानै तमाशा दैखै,आग लगानै नाचै हैं
लपट उठै वैईच कैवै, कोई आग बुझावै कोनी।
धाप धाप नै भरै तीजोरी,लोगा रो हक खावै हैं
पछै कैवता ऐईच फिरै,भूखा-नंगा भावै कोनी।
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