वो स्लेट पे लिखना मिटाना याद आ गया
तस्वीर देखके गुजरा जमाना याद आ गया।
माँ से छुपके चुपके से खा भी लेते थे इसे
जुबाँ पर स्वाद वो ही पुराना याद आ गया।
जमीन पर बनाकर लकीरे कई खेल खेले
हारने औ जितने का फसाना याद आ गया।
अब कहा है लिखावट का वो हुनर पहले सा
छड़ी की मार का किस्सा पुराना याद आ गया।
स्लेट पर लिखकर एक दूजे से बात करते थे
बचपने का वो सुहाना याराना याद आ गया।
डॉ दिलीप बच्चानी
पाली मारवाड़, राजस्थान।
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