कोई इधर कोई उधर मुँह मोड़ता है
एक तिरंगा ही है जो हमे जोड़ता है।
जो जिता है और मरता है इसके लिए
वो जवान आखिर में इसे ओढ़ता है।
मात्र ध्वज नही ये भावना है भारत की
बनके लहू ये हमारी रगों में दौड़ता है।
जब भी लहराता है हवा में इठलाक़े
ये ज़मी आसमाँ पे पहचान छोड़ता है।
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