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सरस्वती वंदना।

"बैंक की किश्ते न चुका पाने के कारण बड़ा घर बेचकर फ्लैट खरीदकर उसमे शिफ्ट होने की तैयारी चल रही थी"।
"चलो अब हर महीने की बैंक की किश्तों से तो छुटकारा मिलेगा,अपनी इच्छाओं को कुचलकर बैंक की ई एम आई नही भरनी पड़ेगी"। 
रितेश! पर एक समस्या है ये इतना सारा सामान इस घर मे तो जगह की कोई कमी नही थी पर दो कमरों के फ्लैट में इतना सामान कैसे रखेंगे.....
अपूर्वा! जो सामान जरूरी है सिर्फ वो ही ले जाएंगे बाकी का फालतू सामान बेच दो या किसी जरूरतमंद को दे दो.....
"और इस बड़े से कार्टुन में जो किताबे भरी पड़ी है उनका क्या करना है"। 
मेरे लिए इन किताबो से ज्यादा कीमती कोई चीज नही है,इन्हें मत बेचना.....
और एक बात हमेशा याद रखना। 
*जिस घर मे सरस्वती होगी वहाँ लक्ष्मी जरूर वापस आ जायेगी*। 

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दो शेर

गुमसुम रहो उदास रहो लोग खुश हारे रहो परास्त रहो लोग खुश। वो तुम्हें अपने जैसा देखना चाहते उनकी तरह विषाक्त रहो लोग खुश। 

लघुकथा

बैंक की किश्ते न चुका पाने के कारण, इतना बड़ा मकान बेचकर छोटा घर तो ले लिया। पर अब इतना सामान इस घर मे आएगा कैसे।  जो जरूरत का सामान हो वो रखो फालतू का सब कबाड़ में बेच दो।  और इस कार्टून का क्या करना है।  अरे! इसमें किताबे है और इससे कीमती चीज कोई नही होती।