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Showing posts from December, 2019

रक्षासूत्र लघुकथा

रक्षासूत्र (लघुकथा) भैया जल्दी करो न!रक्षाबंधन का मुहूर्त निकला जा रहा है। अवनि ने जोर से आवाज लगाई।  बस पांच मिनट में आया।  देख अवनि राखी बांधने से पहले एक वादा करना होगा।  कैसा वादा भैया? राकेश ने जेब से एक विजिटिंग कार्ड अवनि के आगे कर दिया। ये क्या है? वीमेंस सेल्फ डिफेंस क्लासेज, रिटायर्ड कर्नल एच एस जोसेफ।  अब इसकी क्या जरूरत है? जरूरत है आज के माहौल में लड़कियों के लिए इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।  तुम खुद भी जाओ और अपनी सहेलियों को भी प्रेरित करो। वहाँ पर तुम लोगो को मार्शल आर्ट और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी।  जिससे तुम्हारा शरीर ही नही आत्मबल भी मजबूत होगा।  अच्छा ठीक है मै जाउंगी।  ये हुई न बात,चल अब बांध दे राखी।  ये ले गिफ्ट। थैंक्स भैया।  अरे!खोल के तो देख।  ये सब क्या है? ये है पेपर स्प्रे गन तुम्हारा पहला हथियार और ये है मोबाईल कवर के अंदर छुपाया जा सकने वाला टैक्टिकल शार्प ब्लेड नाइफ।  और ये सारे सेफ्टी प्रोडक्ट्स है जो सेल्फ डिफेंस में हेल्पफुल है।  और एक बात याद रहे।  लेट नाइट नो पार्टी, नो डिस्क...

शब्द मरते नही(कविता)

कोई है? जो रहता है हरदम साथ मेरे।  उठते-बैठते हँसते-रोते, अच्छी-बुरी हर परिस्थिति में वो होता ही है मेरे साथ।  पर जब मै थक कर सो जाता हूँ  वो नही सोता वो लगा रहता है मुझे जगाने में।  वो कोई और नही मेरे भीतर छुपा एक लेखक है।  जो जगाता रहता है मुझे लिखने-पढ़ने ऒर सीखने के लिए।  जब मै सो जाऊंगा  हमेशा-हमेशा के लिए तब भी वो जागता रहेगा, एक पुंज की तरह लोगो को प्रेरित करेगा  लिखने के लिए।  ऒर मेरा लिखा पढ़ने के लिए।