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Showing posts from December, 2022
जिन हाथों ने छुई थी मिट्टी वो हाथ बहुत दुखते है।  ये कंधे नही है अब  भार सहने लायक ये कंधे भी बहुत दुखते हैं। 

गजल

हड्डी पर मांस पर श्वास पर घमंड है मूर्खो को जाने किस बात पर घमंड है।  ये सही है और वो सरासर गलत है जाने कैसे कैसे ख्यालात पर घमंड है।  जाने कब बदल जाए कोई जानता नही कइयों को मौजूदा हालात पर घमंड है।  किसी को अहंकार है रंग रूप पर तो किसी को अपने धर्म जात पर घमंड है।  कोई इतराता है कागज के टुकड़ों पर किसी को अपने ताल्लुकात पर घमंड है।  अगर अंदर झांकोगे तो कोरी मिट्टी है  इन्हें अपने मकानों महलात पर घमंड है।  अजीबो गरीब वहम पाले हुए हुए है लोग पता नही इन्हें किस किस बात पर घमंड है।