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Showing posts from November, 2023

गजल

जो सूरज की तरह से यार जलना सीख जाएगा। अंधेरे चीरना, उनसे निकलना सीख जाएगा। न कोई हाथ पकड़ो ना सहारा दो उसे कोई, खुद ब खुद वो मेरे साथी संभलना सीख जाएगा। अभी मासूम है, मासूमियत जिंदा रहे उसमें, किताबें पढ़ के वो फितरत बदलना सीख जाएगा। सुनो ये दुनिया के दस्तूर, जैसे हथकड़ी कोई,  जिस तरह तुमने सीखा, वो भी चलना सीख जाएगा। यहां हर शख्स का अपना अलग किरदार होता है, समय को देख वो सांचे में ढलना सीख जाएगा‌। न दो तुम ज्ञान, ईश्वर ने सभी कुछ दे के भेजा है, अगर बंदर है तो निश्चित उछलना सीख जाएगा। अभी बच्चा है बचपना रहने तो दो तुम उसमे खिलौने देखकर खुद ही मचलना सीख जाएगा।

दीपावली

उजियारा जीते सदा,तम की होती हार संघर्षों के बाद अब, सजा राम दरबार।  सजा राम दरबार,अवध की छटा निराली सरयू तट मना रहा अब हर दिन दिवाली।

मृत्यु के बाद।

कुछ आंखे सजल होगी कुछ समय के लिए, कुछ स्मृतियां कुछ कुछ ह्रदयों में रह जाएंगी।  घर का एक बिस्तर रिक्त रह जायेगा और क्या हो जाएगा।  चप्पल स्टैंड की कतारों में  एक फालतू चप्पल रह जायेगी अलमारी में कुछ जोड़ी पुराने कपड़े बच जाएंगे।  जिन्हें बाद में फेंक दिया जाएगा और क्या हो जाएगा।  दवाई के पत्तो में कुछ गोलियां बच जाएंगी कुछ अधपढ़ी किताबे पूछे छूट जाएंगी।  जिन्हें फिर कभी न पढ़ा जाएगा।  और क्या हो जाएगा।  तुलसी रोज याद करेगी गुलमोहर पछतायेगा कुछ गमलों की सफाई  बाकी रह जायेगी।  जिन्हें अब करीने से सजाया जाएगा। और क्या हो जाएगा।  कुछ समय के लिए कमरा सुना हो जाएगा बिखरी चीजो को अब हटाया जाएगा।  इसे अब फिर से बसाया जाएगा।  और क्या हो जाएगा।  दीवार की किसी कील पर एक तस्वीर लटकाई जाएगी सूखे चंदन की माला भी पहनाई जाएगी।  दीवार पर एक पोस्टर बढ़ जाएगा।  और क्या हो जाएगा।