क्या करूँ क्या न करुँ उठा ह्रदय में शोर तब जा करके बांध दी तेरे दर पर डोर। इक तेरा ही आसरा तुझ पर है विश्वास तू ही भीतर तू ही बाहर तू ही है चहुँओर। मनुज मनुज से डर रहा फैला ऐसा त्रास करो कृपा हे नाथ तुम मिटे निशा घनघोर। सत्य भी तुम शिव भी तुम तुम ही मेरे राम मत पिता बंधु तुम ही तुम ही माखनचोर। हे अविनाशी घट घट वासी हम है तेरे दास करबद्ध कर रहे हम प्रार्थना देखो मेरी ओर।