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Showing posts from February, 2021

पुस्तक समीक्षा

किसी भी पुस्तक को पढ़ने से पहले हर पाठक को ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि वो उस पुस्तक को एक छात्र की तरह पढ़े। अपने मन मस्तिष्क पर किसी भी तरह की विचारधारा को दूर हटाकर एक छात्र की तरह अध्ययन करने पर ही हम किताब में परोसी गईं विषयवस्तु के साथ न्याय कर सकते है।ये ही बात लेखक पर भी लागू होती है कि जब वो किसी भी प्रकार का रचनाकर्म करे तो उसका मन मस्तिष्क कोरी सफेद दीवार जैसा हो जिस पर किसी भी विचारधारा की कील न ठुकी हो। परन्तु ये एक आदर्श स्थिति की बात है अनुममन कभी पाठक चूक जाता है,कभी लेखक अपने कर्तव्य का निर्वाह नही कर पाता।  कुछ ऐसा ही घटित हुआ है "शिवना प्रकाशन,सीहोर,मध्यप्रदेश" द्वारा प्रकाशित पुस्तक।  *जिन्हें जुर्म ए इश्क पे नाज़ था* के साथ।  पंकज सुबीर द्वारा लिखी गई ये पुस्तक खैरपुर नामक एक काल्पनिक कस्बे की कहानी है जिसमे प्राइवेट कोचिंग सेंटर चलाने वाले रामेश्वर को मुख्य पात्र के रूप में रखकर विभिन्न पात्रो औऱ घटनाओं को दिखाने का प्रयास किया गया है।  कमलेश्वर की "कितने पाकिस्तान" के बाद इस तरह के कई प्रयोग हुए है जिसमे वर्तमान और अतीत को मिलाकर एक कहानी कहने की क...
कुछ सामान हटाना होगा कुछ जगह बनानी होगी दर्द संभाले रखने के लिए दिल में जगह नही रही।