घरौंदे की ओर ( लघुकथा )
वेटर दो कॉफी लाना।
हांविवेक अब बोल क्या बात है?
सुबह से इतना परेशान सा क्यो है।
क्या बताऊँ यार कल रात ढंग से सो भी नही सका और.....?
कही स्वाती भाभी से कोई झगड़ा?
अरे नही यार विशाल ऐसी कोई बात नही।
तो क्या हुआ?
दरअसल तीन दिन पहले फेसबुक पर एक शिल्पी नाम की महिला की रिकवेस्ट आयी।
औऱ तूने तुरन्त स्वीकार कर ली होगी।
हां भाई।
उसके बाद शुरू हुआ चैटिंग का सिलसिला शुरुआती जानपहचान के बाद कब
जानू, स्वीटी,बेबी तक पहुँचा पता ही नही चला।
कुछ ऐसी जानकारियों का भी आदान प्रदान हुआ जो नही होना चाहिए।
शुरू में तो बड़ा मजा आ रहा था पर अब ये सब एक मानसिक यंत्रणा सी लगती है।
औऱ लोकलाज का डर अलग।
विवेक तेरी परेशानी ये है की अपनी एक महिला मित्र को खोना भी नही चाहता औऱ उसकी गलत मांगो का बोझ भी नही ढो सकता।
हां भाई बिल्कुल यही बात है।
अच्छा ये बता तेरे लिए ज्यादा जरूरी क्या स्वाती भाभी तेरे बच्चे या वो फेसबुक फ्रेंड शिल्पी।
तू सही कह रहा हैं।
शिल्पी ब्लॉक्ड .....|
©डॉ दिलीप बच्चानी
पाली मारवाड़ राजस्थान
9829187615
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