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टूटते सपने (लघुकथा)

टुटते सपने (लघुकथा)

साँवला रंग लंबा ऊँचा कद साधारण नयन नक्श आत्मविश्वास से लबरेज सलोनी ट्रेक सूट पहनकर जब अपने कॉलेज या मोहहले की गली से निकलती तो किसी लड़के की हिम्मत न होती की कोई आँख उठा कर देख ले
सलोनी एक ताक्वांडों प्लेयर थी बचपन से ही पढ़ाई और गेम्स साथ साथ ही चले
ताइक्वांडो जैसे फुर्तीले गेम में उसके सर की ऊँचाई तक आने वाली स्पिनिंग किक्स का कोई जवाब ना था
स्टेट चैम्पियनशिप जितने के बाद अब देश के लिए मेडल जीतने की बारी थी
जल्द ही होने वाली वर्ल्ड ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में सलेक्ट होने की बड़ी दावेदार थी सलोनी
इन्ही तैयारियों के चलते रोज सुबह शाम इनडोर हॉल में प्रेक्टिस जारी थी
सलोनी शाम की प्रेक्टिस के लिए जल्द ही पहुँच गई
अंदर गर्ल्स चेंजिंग रूम में से उनके कोच और चीफ सलेक्टिंग ऑफिसर सुमित सर और उसकी साथी खिलाड़ी काजल की हँस हँस कर बाते करने की आवाजें सुनी
कुछ देर बाद सलोनी वापस घर की तरफ चल पड़ी
आज वो बिना लड़े ही हार गई थी
और भारत के एक और मेडल का सपना टूट चुका था

                                      डॉ दिलीप बच्चानी
                                 पाली मारवाड़ राजस्थान

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