जब से फेसबुक तैयार हो गयी है
तब से जिंदगी इश्तेहार हो गईं है
लड़के बेचारे लाइक्स को तरसे
लड़कियों पर भरमार हो गयी है
अब हर रोज लिखते है वॉल पर
कलम बेचारी बेकार हो गयी है
यहाँ सब सच कहा दिखता है
अफवाहों का बाजार हो गईं है
तू मुझे लाइक कर मैं तुझे करू
दोस्ती भी अब व्यापार हो गईं है
परिवार तो बट चुके टुकड़ो में
फेसबुक ही परिवार हो गई है
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