आज पंद्रह दिन हो गए अस्पताल के बेड पर।
रोड एक्सीडेंट में दायीं टांग में मल्टीपल फ्रेक्चर थे।
घर वालो ने बहुत कहा हम आ जाये बेंगलुरु, पर मैने ही मना कर दिया।
क्या जरुरत है आप लोगो के आने की मल्टीस्पेशलिटी लक्सरी अस्पताल है सेवा करने के लिए नर्सिंग स्टाफ है। और फिर मेरा रूम पार्टनर विवेक सुबह शाम आता रहता है।
शाम को सात बजे विवेक मिलने आया।
मै सड़क पर बाहर खिड़की से आती जाती गाड़ियों को देख रहा था।
दरवाजा बंद कर विवेक मेरे पास आकर बैठ गया।
तू क्या बाहर खिड़की से देखता रहता है?
दिन भर टीवी मोबाईल चला कर बोर हो जाता हूँ।
जब खिड़की से बाहर देखता हूँ तो दादा जी की याद आती है।
वो भी दिन भर कुर्सी लगाकर बाहर बैठे रहते थे कोई बात करता तो करते वरना आते जाते लोगो को देखते रहते।
आज मै भी उन्हीं की तरह ढूंढ़ रहा हूँ एकांकीपन में जीवन की रफ्तार।
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