घने तिमिर में उजाले की किरण चाहिए
जंग को जीतने का प्रबल प्रण चाहिए।
सांस खुलकर फिर से हम सब ले सके
बस वही सुकून भरा एक क्षण चाहिए।
ठाकुर को थाली भरी से सरोकार क्या
उसे तो प्रेम से भरा एक कण चाहिए।
नाम तो तुम रख सकते हो बड़े से बड़े
बड़ा होने को प्रतिभा विलक्षण चाहिए।
यहाँ पसीना बहाना कोई नही चाहता
परिणाम तो सभी को तत्क्षण चाहिए।
दिलीप कलम तुम्हारी बस चलती रहे
हमे तो अपना इरादा बस द्रण चाहिए।
Comments
Post a Comment