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पाली(कविता)

सुनहरी सुबह और सुहानी शाम पाली में
शहर है पर बसता एक देसी गांव पाली में। 

खुशनुमा दिन और सुकून की रात पाली में
जो लगती है जुदा कुछ तो है बात पाली में। 

गर्मी थोड़ी तल्ख़ है और सर्दी थोड़ी कड़क
कम ही सही पर खूबसूरत बरसात पाली में। 

देसी घी का चूरमा और दाल बाटी का रंग
मिर्चीबड़े से होती दिन की शुरुआत पाली में। 

चाय की थड़ियों पर गप्पबाजी की महफ़िले
बेफिक्री के साथ मस्तीभरे अंदाज पाली में। 

बदलते दौर में शहर भी रूप बदलते रहते है
पर कायम रही है और रहेगी मिठास पाली में। 

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