#विश्वकवितादिवस
गम की खुशी की आँसू की बात लिख
ऐ! कलम तू जज्ब लिख जज्बात लिख।
तू न लिखना रंगीनियों के रंगीन किस्से
तू मजबूरों की बात लिख हालात लिख।
दिल्लगी के अफसानों से मन न बहला
तू मानस को जगाए ऐसे ख्यालात लिख।
जो न बन सके अखबारों की सुर्खियां
तू ऐसे दबे छुपे दफ़्न मामलात लिख।
हकीमो की बाते तो चाटुकार लिख लेंगे
तू मजलूमों की बात पर कलमात लिख।
डॉ दिलीप बच्चानी
पाली मारवाड़, राजस्थान।
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